पादप - ई. आलोक राई (हिन्दी कविता)

ई. आलोक राई शिक्षा- बी. टेक. (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) पिता का नाम- ध्रुव नारायण सिंह राई पत्रिकाओं में प्रकाशित - क्षणदा (त्रैमासिक), संवदिया (त्रैमासिक), जन आकांक्षा त्रिवेणीगंज, सुपौल, बिहार पादप बीज से पादप तब विशालतम वृक्ष जीवन योग्य वायु दाता वृक्ष होता हरा-भरा करता रहता वायु संतुलित इसके पत्ते झड़कर मृदा शक्ति बढ़ाता वृक्ष के नीचे गर्मी में करता सबको शीतल संतुलित मौसम करने में होता योगदान इसका जड़े फैलाकर अपने बारिश के ऋतु में भू-क्षरण को रोकता प्रकृति के सौंदर्य का एक भाग यह विभिन्न प्रजातियां इनकी तथा रंग रूप अनेक देते कई प्रकार के फल औषधीय गुण विविध रंग-बिरंगे फूल दृश्य लुभावन प्रकृति की रचना ये अनुपम जिसे काट बस रही आबादी बना रहे पलंग-किबाड़ चिंतन जरूरी जीवन की बचाओ इसे जिससे बचे सृष्टि बचाओ पेड़। बचाओ पेड़। इस ब्लाग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकार उनके पास है। धन्यवाद। Read more डॉ. अलका वर्मा प्रतिभा कुमारी जी, गीत - शबनम से भींगी गुलाब क्यों है डॉ. इन्दु कुमारी की रचना साहित्यकोसी पर सुरेन्द्र भारती जी(गीतकार) के ग...