सियाराम यादव मयंक जी की गजल
सियाराम यादव मयंक गजल -01 जिन्दगी का मजा लीजिए। हर किसी से दुआ लीजिए।। रुक गया राह में जो कहीं। बोझ उसका उठा लीजिए।। तीरगी है भरी राह में। दीप अपना जला लीजिए।। मिल गया गर कहीं आइना। दाग दामन छुपा लीजिए।। भर रहा रंज से मन जभी। कुछ घड़ी गुनगुना लीजिए।। जो कहीं खा रहे ठोकरें। पास उसको बुला लीजिए।। होंठ हॅंसता नहीं अब मयंक। कुछ पहर मुस्कुरा लीजिए।। --०-- गजल -02 एक तारा टिमटिमाता जल रहा है आजतक। अनवरत वह तारीकों से लड़ रहा है आजतक।। साथ मिलकर जो समन्दर से निकाला था सुधा। घूॅंट पीने के लिए दर-दर भटकता आजतक।। मांग अंगूठा लिया सिर को किया धड़ से अलग। उस कहानी की हकीकत कह रहा है आजतक।। जो यहाॅं आया कभी था पेट...