शंभुनाथ अरूनाभ (कवि और लेखक) जी की कविता मार्केटिंग यार्ड
शंभुनाथ अरूनाभ (कवि और लेखक) |
मार्केटिंग यार्ड
खाली-खाली मार्केटिंग र्याड
भर जाएगा कुछ ही क्षणों में
जैसे भर जाते हैं
अगहन में किसानों के बखार
औरतें आएँगी टोकरी के साथ
टोकरी में चावल चूड़ा सब्जियाँ
मन में टोकरीर भर दुश्चिंताएँ
औरते आएँगी
झूर्रीदार एवं झुलसे चेहरों के साथ
जिनकी आत्मा होगी सफेद
टोकरी की मूली सी
जो उपजाती है –मूली, गाजर, टमाटर
अपने खेतों में
दया ममता करूणा
अपने दिलों में
औरतें आएँगी
जिन्हें नहीं मालूम
कि आज टी. वी. पर क्या है
कि क्या होती है सौंदर्य प्रतियोगिता
कि किस देश में छिड़ा है गृहयुद्ध
कि किस तरह उगाया जा रहा है कठिनाइयों का पहाड़
कि रचा जारहा है षड़यन्त्र रोने के अधिकार को भी छिनने का
औरतें आएँगी
जिनकी सहेली है फाँकाकथी
जिन्हें मिलती है-सूखी रोटियाँ, चुटकी भर नमक, हरी मिर्च के साथ
पति के प्रताड़ना का सालन
औरतें आएँगी
अपने पीछे नन्हें-नन्हें बच्चों को छोड़कर
जैसे ही संध्या पाखी
पसारने को होगी अपने पंख
बहुत बहुत हड़बड़ाएँगी वे
कि सब्जियाँ पड़ी हैं
कि बच्चे भूख से टौआते होंगे।
औरतें जल्दी-जल्दी बढाएँगी अपने कदम अँधकार में
अँधकार में
डूबता सा लगेगा सारा वजूद
फिरभी
अभाव के अंधकार से लड़ने के लिए
औरतें फिर-फिर आएँगी मार्केटिंग यार्ड।
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इस ब्लॉग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकर उनके पास हैं। धन्यवाद।
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