जल - ई. आलोक राई
जल एक अमुल्य संसाधन होने के साथ साथ हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है जिसे हम उपयोग में लाते है और बिना इसके हमारा जीवन असम्भव है। यह जीवन देने के साथ साथ अपने गुण जो किसी भी चीज में अपना उसी आकार में ढलना सिखाती है की इसके पार्दर्सीता गुण के साथ साथ स्थिति अनुसार हो जीवनदायी होना। यह जीवनदायी है तो जीवन लेती भी है। जल पर मेरी यह कविता आपके समक्ष प्रस्तूत है धन्यवाद। ई. आलोक राई शिक्षा- बी.टेक. इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग, बी.एड. जल जल श्रोत भू पर वाष्पित हो बनता बादल रचता दृश्य इन्द्रधनुष अम्बर से बरस-बरस पहुँचे धरती पर करता माटी गीली अंकुर लेते बीज फैलती हरियाली चहो दिशा बहती शीतल सी पवन पेय है जल भोजन ...