Posts

Showing posts with the label Dhruva Narayan Singh Rai hindi poetry poems

ध्रुव नारायण सिंह राई जी की कविता बड़ा होना/साहित्य कोसी ब्लॉग

Image
  ध्रुव नारायण सिंह राई बड़ा होना बड़ा होना अकड़कर खड़ा होना नहीं बड़ा होना तो शालीन होना है जो  पेड़ नहीं फलते अकड़े होते हैं शून्य में तीर चलाते हैं फलदार पेड़ झुके होते हैं हिमालय उतरकर महासागर से मिलता है महासागर विनम्र बन क्षितिज को छूता है शांति से बात बनती है सद्भाव संसार जीतता है आशा जीवन देती है विश्वास उल्लासित करता है  आकाश को ऊँचाई पर गुमान नहीं झुककर धरती को चूमता है धरती विहँस बाहों में भर लेती है दोनों का अनोखा प्यार देखते बनता है                     ****** इस ब्लॉग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकार उनके पास हैं। धन्यवाद। ध्रुव नारायण सिंह राई जी कुछ पुस्तकों के छायाचित्र अंगूठा बोलता है खण्डकाव्य ध्रुव नारायण सिंह राई Face of the mirror Dhruva Narayan Singh Rai द्वापर गाथा महाकाव्य ध्रुव नारायण सिंह राई क्षणदा त्रैमासिक  (ध्रुव नारायण सिंह राई - वरीय संपादक) चौरासी (पत्रिका) ध्रुव नारायण सिंह राई - प्रधान संपादक  Dhruva Narayan Singh Rai - Editor in Flying with words जन तरंग   पत्रिका में संपादन - ध्रुव नारायण सिंह राई निराला:व्यक्त

ध्रुव नारायण सिंह राई जी की कविता अभाव

Image
ध्रुव नारायण सिंह राई   अभाव अभाव क्या होता है  मैं जानता हूँ  यह आदमी को कैसे खाता है  मैं जानता हूँ  आदमी इससे कैसे पस्त होता है  मैं जानता हूँ  यह घुन है  मैं जानता हूँ  पर मैं यह भी जानता हूँ  कि अभाव की माटी में  बीज कैसे अंकुराता है  और नई  पौद बन बढ़ता है  फूल और फल देता है   और अभावग्रस्तों का ही नहीं  बल्कि  अमीरों को भी तृप्ति देता है  अतः इसे कैसे जीता जाता है  जानना ज़रूरी है  न कि हथियार डालना           ****** इस ब्लॉग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकर उनके पास हैं।           धन्यवाद। संक्षिप्त परिचय नाम - ध्रुव नारायण सिंह राई जन्म तिथि - 15 जनवरी 1954 शिक्षा - एम. ए. (हिन्दी ), एम. ए. (अंग्रेजी) प्रकाशित कृति - अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य)                       द्वापर गाथा (महाकाव्य)                       टुकड़ा-टुकड़ा सच (कविता संग्रह)                       Face of the mirror (Subjective essays) संपादित कृति -  निरालाः व्यक्ति और साहित्य                        जन-तरंग (पत्रिका)                        वरीय संपादकः क्षणदा (त्रैमासिक पत्रिका