ध्रुव नारायण सिंह राई जी की कविता अभाव
ध्रुव नारायण सिंह राई अभाव अभाव क्या होता है मैं जानता हूँ यह आदमी को कैसे खाता है मैं जानता हूँ आदमी इससे कैसे पस्त होता है मैं जानता हूँ यह घुन है मैं जानता हूँ पर मैं यह भी जानता हूँ कि अभाव की माटी में बीज कैसे अंकुराता है और नई पौद बन बढ़ता है फूल और फल देता है और अभावग्रस्तों का ही नहीं बल्कि अमीरों को भी तृप्ति देता है अतः इसे कैसे जीता जाता है जानना ज़रूरी है न कि हथियार डालना ****** इस ब्लॉग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकर उनके पास हैं। धन्यवाद। संक्षिप्त परिचय नाम - ध्रुव नारायण सिंह राई जन्म तिथि - 15 जनवरी 1954 शिक्षा - एम. ए. (हिन्दी ), एम. ए. (अंग्रेजी) प्रकाशित कृति - अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य) द्वापर गाथा (महाकाव्य) टुकड़ा-टुकड़ा सच (कविता संग्रह) Face of the mirror (Subjective essays) संपादित कृति - निरालाः व्यक्ति और साहित्य जन-तरंग (पत्रिका) वरीय संपादकः क्षणदा (त्रैमासिक पत्रिका