डॉ. अलका वर्मा जी की गजल दिल को अब आराम कहां है
डॉ. अलका वर्मा दिल को अब आराम कहां है तुम बिन सुबह ओ शाम कहां है मात - पिता की पूजा होती ऐसा कोई धाम कहां है सर्वधर्म समभाव जहां हो बोलो ! ऐसा गाम कहां है वनवासी हो वचन निभाए वैसा कोई राम कहां है जो बागों को महका देता पहले -सा अब आम कहां है ....................................... इस ब्लॉग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकर उनके पास हैं। धन्यवाद। Read more 👇 डॉ. अलका वर्मा जी की कविता उत्तर दे सियाराम यादव मयंक जी की गजल ‘द्वापर गाथा’ महाकाव्य का काव्य-प्रसंग - डॉ. विनय कुमार चौधरी युगल किशोर प्रसाद / द्वापर गाथा (महाकाव्य), 2012 का ज...