कवि महेन्द्र प्रसाद जी की कविता प्रगति-पथ


कवि महेन्द्र प्रसाद
ग्राम गुड़िया, सुपौल
 बिहार





















प्रगति-पथ

व्यस्त, व्यस्त, सब जन व्यस्त
होता प्रगति-पथ प्रशस्त।
निशि-दिन कर कठिन परिश्रम,
पाता निश्चित ही फलोत्तम।
वैभव न रहता दूर,
कष्ट हो जाता काफूर।
स्वस्थ तन प्रसन्न मन
रहता न कोई विपन्न।
कर्म, कर्म, कर्म, कर्म प्रधान
यही बनाता मानव को बलवान।
जीवन-जगत का अच्छा नाता
जब नर बनता कर्मठ कर्त्ता।
जिसका मनोबल जितना बड़ा
वही रहता अंधर-तूफानों में खड़ा।
मिट जाता बहिरंतर का
वही यशस्वी वही महान्
उसका नाम लेता सारा जहान।
                 ****


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 कवि महेंद्र प्रसाद जी की पुस्तकें 

गुड़िया का गहना 
हिन्दी काव्य संग्रह
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मोनक बात अनमोल
मैथिली काव्य संग्रह
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