कवि महेन्द्र प्रसाद जी की कविता प्रगति-पथ
कवि महेन्द्र प्रसाद ग्राम गुड़िया, सुपौल बिहार |
प्रगति-पथ
व्यस्त, व्यस्त, सब जन व्यस्त
होता प्रगति-पथ प्रशस्त।
निशि-दिन कर कठिन परिश्रम,
पाता निश्चित ही फलोत्तम।
वैभव न रहता दूर,
कष्ट हो जाता काफूर।
स्वस्थ तन प्रसन्न मन
रहता न कोई विपन्न।
कर्म, कर्म, कर्म, कर्म प्रधान
यही बनाता मानव को बलवान।
जीवन-जगत का अच्छा नाता
जब नर बनता कर्मठ कर्त्ता।
जिसका मनोबल जितना बड़ा
वही रहता अंधर-तूफानों में खड़ा।
मिट जाता बहिरंतर का
वही यशस्वी वही महान्
उसका नाम लेता सारा जहान।
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