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कवि महेन्द्र प्रसाद जी की कविता प्रगति-पथ

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कवि महेन्द्र प्रसाद ग्राम गुड़िया, सुपौल  बिहार प्रगति-पथ व्यस्त, व्यस्त, सब जन व्यस्त होता प्रगति-पथ प्रशस्त। निशि-दिन कर कठिन परिश्रम, पाता निश्चित ही फलोत्तम। वैभव न रहता दूर, कष्ट हो जाता काफूर। स्वस्थ तन प्रसन्न मन रहता न कोई विपन्न। कर्म, कर्म, कर्म, कर्म प्रधान यही बनाता मानव को बलवान। जीवन-जगत का अच्छा नाता जब नर बनता कर्मठ कर्त्ता। जिसका मनोबल जितना बड़ा वही रहता अंधर-तूफानों में खड़ा। मिट जाता बहिरंतर का वही यशस्वी वही महान् उसका नाम लेता सारा जहान।                  **** इस ब्लॉग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकर उनके पास हैं।           धन्यवाद।   कवि महेंद्र प्रसाद जी की पुस्तकें   गुड़िया का गहना  हिन्दी काव्य संग्रह महेंद्र प्रसाद मोनक बात अनमोल मैथिली काव्य संग्रह महेंद्र प्रसाद Read more सुरेन्द्र भारती जी(गीतकार) के गीत चुपके से सनम तुम आ जाना डॉ. इन्दु कुमारी जी की रचना जीवन के रंग   डॉ. अलका वर्मा जी की कविता उत्तर दे भोला पंडित "प्रणयी" ज...