डॉ. इन्दु कुमारी जी की रचना जीवन के रंग

 
डॉ. इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार

















जीवन के रंग
(विधा दोहा छंद)


सृष्टि रूप में अवतरित, सखि जीवन के रंग।।
सब चर अचर जहान के, एक दूजे के संग। 

फूलों में जीवन हंसे, कलियों में मुस्काए।। 
उर में भरा पराग रस , भंवरा मन ललचाए।।।

सरिता सागर से मिले, प्रकृति पुरुष का संग।। 
प्रणय प्यार रस बन बहे, जैसे पावन गंग।।

बचपन मुखरित हो रहा, यौवन मद में चूर।।
सृष्टि मध्य जीवन हंसे, देखो सखि भरपूर।।

जीवन एहि अनमोल है, सुंदर मानुष रूप।।
भक्ति हीन हिर्दय लगे,हे सखि बड़ा कुरूप।।

जीवन मिलता प्रेम से, द्वेष दुखों की आग।।
सुंदर वो संसार में, जिसके उर अनुराग।।

परहित का मन भाव रख, मन को रखें प्रसन्न।।
हे सखी बुद्धि बिगाड़ता, जग में  दुषित अन्न।

ऐसे नियम सहेजिए , कभी ना हो व्रत भंग।।
सबके जीवन पर खिलो, तुम बन जीवन रंग।।
............


इस ब्लॉग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकर उनके पास हैं।           धन्यवाद।



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