डॉ. अलका वर्मा जी की कविता उत्तर दे

 
डॉ. अलका वर्मा
 पूर्व प्राचार्य 
त्रिवेणीगंज ,सुपौल,
बिहर 852139
ई मेल- dralka59@gmail.com




उत्तर दे

उसने पहली बार जब
पहनी कुर्ती सलवार
मन में इक हूक सी उठी
बेटी बड़ी हो गई है।
उम्र ज्यादा न थी
फिर भी एक चिन्ता 
समा गई मन में
उसके चेहरे की मासुमियत
दुपट्टे का ओढ़ना
एक रेख उत्पन्न कर  गई
जो चिन्ता न थी
उसके जन्म के बाद
जो दर्द न था
उसके बेटी होने का
बढ़ती असुरक्षा
पड़ती गंदी निगाहें
सुरसा सा मुंह फैलाए दहेज
सुन्दरता ,शिक्षा सब रहते
सहना होगा दहेज का दंश
जो जन्म लेते ही बेटी के साथ
माता-पिता के सीने में बैठ जाते
समानता के समय में भी 
बेटा बेटी में फर्क न करने की
जितनी भी बातें करें
किन्तु विवाह समय
हो जाती सारी बातें उड़न छू
करें तो क्या बेटी के पिता
"यह ड्रेस बंदलों " मैने कहा
क्युं
यु हीं
फ्राक में अच्छी लगती हो
अनेकों प्रश्न लिए ड्रेस बदल ली
पर छोड़ गई अनेकों प्रश्न
क्या मैंने निजात पा लिया?
यही है सामाधान
मेरी इस चिन्ता का
कोई उत्तर दे।
उत्तर दे।
..........




इस ब्लॉग की रचनाये स्वयं लेखकों के द्वारा दी गई है तथा इन रचनाओं का स्वताधिकर उनके पास हैं।           धन्यवाद।



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     डॉ. अलका वर्मा जी की रचना के साथ उनका विस्तृत परिचय 
आगामी ब्लॉग मे उप्लब्ध होगा तथा साथ ही उनकी लघुकथा भी होगी।
                                                                 धन्यवाद।




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