अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य) ध्रुव नारायण सिंह राई

 Now officially available by Swaraj Prakashan in Amazon, please tap below in get it link👇

🔗अँगूठा बोलता है (खण्डकाव्य)
ध्रुव नारायण सिंह राई 


धर्म-प्राणीमात्र की सेवा
रखना अतुलित स्नेह हृदय में
करना कर्म सदैव महत्तर
और सुजन-सत्कार निलय में।

कर न्योछावर निज जीवन भी
बनाना पतित को भी उत्तम
यही सुकर्म, यही श्रेष्ठ धर्म
सदा संसार में सुंदरतम।




Comments

Popular posts from this blog

डॉ. अलका वर्मा

ध्रुव नारायण सिंह राई जी की कविता अभाव

प्रतिभा कुमारी जी, गीत - शबनम से भींगी गुलाब क्यों है