प्रतिभा कुमारी वरिष्ट कवियित्री एवं शिक्षिका स्वतंत्र लेखिका एवं स्तंभकार त्रिवेणीगंज, सुपौल,बिहार। गीत शबनम से भींगी गुलाब क्यों है रखी दिल पर खुली किताब क्यों है ये किन खयालों का है बादल अजी मौसम ए दिल खराब क्यों है। वो दौर कब का गुजर चुका है अभी तलक क्यों भुला न पाई क्यों उंगलियों को अब मरोड़े कि जिसको अब तक जता न पाई तेरे अधर पर रुकी हुई सी ये उनके खत का जवाब क्यों है ये किन खयालों का है बादल अजी मौसम ए दिल खराब क्यों है महक रही हो हरिचंदन जैसे इन सांसों में किसे गुन रही हो क्यों धड़कनों के जिरह में गुम हो इस मौन में किसे सुन रही हो इन नयन पटों को खोल सखी री ये नलिन अक्षि पर हिजाब क्यों है ये किन खयालों का है बादल अजी मौसम ए दिल खराब क्यों है। ✍️ प्रस्तुत कविता की समीक्षा हिन्दी कविता की सुपरिचित कवयित्री व शिक्षिका, अति पिछड़े अंचल सुपौल-बिहार की धरती से कविता की फसल उगाती, धैर्य की प्रतिमूर्ति आदरणीया बहन प्रतिभा कुमारी जी द्वारा रचित शीर्षक विहीन गीत कविता भाषा, भावप्रवणता और गेयता की दृष्टि से उच्च कोटि की रचना है।गीत सामान्यतया अपनी गेयता, शब्द शक्ति और उल्लास के लिए जा
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