गोपाल सिंह 'नेपाली' के काव्य में राष्ट्रीय चेतना - नवल भास्कर
नवल भास्कर शोधार्थी , हिंदी विभाग भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय लालू नगर मधेपुरा गोपाल सिंह 'नेपाली' के काव्य में राष्ट्रीय चेतना । गीतों के राजकुमार , प्रकृति प्रेमी कवि गोपाल सिंह ’नेपाली’ के हृदय में राष्ट्रभक्ति , राष्ट्रप्रेम और चेतना दिलो-दिमाग में इस तरह बस गया था कि वह अपनी रचना में सभ्यता संस्कृति , शासन , संप्रभुता और जनजागृति के साथ युगबोध का अंगूठा छाप हम सभी के बीच छोड़ गए । उनकी राष्ट्रीय चेतना में देश के प्रति गहरा भाव झलकता है । जिस तरह से साहित्य हमारे समाज को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाते हैं उसी के सापेक्ष हर दृष्टिकोण से नेपाली जी की अधिकांश रचना समाज को नई गति प्रदान करता है । वह सच्चे अर्थों में भारत माता के ऐसे सपूत थे जिन्होंने सेवा फल का ना तो स्वाद चखे ना ही मन में कभी इच्छा हुई । केवल समस्त जनमानस के पटल पर राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के लिए हमेशा नि:स्वार्थ , नि:संकोच अपनी रचना राष्ट्र हित के लिए गढ़ते गए । राष्ट्रीयता से ओत_ प्रोत रचना देशगाण अभी भी कहीं गाया जाता है तो सुनकर रोम-रोम पु