जीवन - ई. आलोक राई
ई. आलोक राई शिक्षा- बी.टेक. इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग, पत्रिकाओं में प्रकाशित - क्षणदा (त्रैमासिक), संवदिया (त्रैमासिक), जन आकांक्षा जीवन सरसराता पवन खिले फूलों और भवरों का गूँजन इस नभ तल में हुँ मैं भी इस छोर से उस डोर को पकर के चला अभी है नैया बीच मजधार लगा जोर करना पार इच्छा, कर्म, जिम्मेवारी आती जीवन में कर्म अगर लक्ष्य रहा क्या बाकी पूरा होता मन बुदबुदाये कभी संसय तो कभी दृढ़ हो जाए इच्छाएं अनंत ले जाती जिम्मेवारी फिर पुकारती लिये सोच कर्मो की और इच्छाएं मंडराते बादलों पर मन का विचरन और निज धरा पर स्वयं का कर्मबन्धन। ......................... Click on link to read more ध्रुव नारायण सिंह राई जी की कविता अभाव सुरेन्द्र भारती जी(गीतकार) के गीत चुपके से सनम तुम आ जाना सुबोध कुमार "सुधाकर" जी की रचना मुझको कोई बुला रहा है। कवि महेन्द्र प्रसाद जी की कविता प्रगति-पथ भोला पंडित "प्रणयी" जी के गीत-खण्ड ' खर्च हुए हैं पिघल-पिघल कर' Read more some related and other blogs युगल किशोर प्रसाद / द्वापर गाथा (महाका...